Saturday, March 29, 2014

पापा का प्यार

 " पापा कह नहीं पाते पर मुझे पता है, वो मुझसे बहुत प्यार करते है "

 मां का प्यार नजर आता है पर पिता का प्यार नजर नहीं आता है क्योंकि पिता का प्यार इतना गहरा होता है कि उस प्यार को देखने के लिए नजरों की जरूरत नहीं होती है केवल दिल से ही पिता के प्यार को महसूस किया जा सकता है’.  जब बचपन में  मां बड़े प्यार से अपने  बच्चे  के  सिर पर हाथ फेरकर बच्चे  से प्यार करने का अहसास कराती है  पर  पिता बस बच्चे के  तरफ देखकर केवल यही पूछ्ते है  कि “मेरे बेटे को किसी चीज की जरूरत तो नहीं है ना.”  पिता का यह पूछ्ना, उनकी बातों और आंखों में कितना प्यार दिखाता है पर पिता कभी भी अपना प्यार जता नहीं पाता है."


 धन से बहुत कुछ   ख़रीदा  जा सकता है लेकिन  सब कुछ नहीं , अमीर घर के बच्चे भले ही  अपनी पसंद कि  हर चीज के साथ पलते बढ़ते हैं  लेकन वे अपने  माता -पिता  के साथ बहुत कम वक्त बिता  पाते  हैं  और उन्हें  अपने माता -पिता के प्यार  से महरूम  होना पड़ता है।  लेकिन गरीब माता पिता अपने  बच्चे कि बहुत  कम जरूतों को पूरा कर पाते हैं  परंतु माता पिता का प्यार और साथ पूरा मिलता है

बच्चे से अधिक लाड़ -प्यार बिगाड़ सकता है इसलिए बच्चे को प्यार दे,  लेकिन सही गलत कि जानकारी भी दे और माता- पिता को  बच्चे के सामने कोई गलत काम नहीं करना चाहिए और  झूठ भी नहीं बोलना चाहिए

किसी कारण बच्चे गलती कर जाते है या बार -बार गलती करते हैं तो बच्चे के माता -पिता को चाहिए कि बच्चे के साथ अधिक वक्त बिताएं और उनकी गलती कि जानकारी ले !

वो नन्हें-नन्हें उनके कदम चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट फिर ‘सजा’ जैसा शब्द’!! क्या गलती में सुधार नहीं हो सकता है 

" प्यार करना कुछ नहीं है, प्यार पाने के लिए प्यार दें।"

Wednesday, October 16, 2013

कुछ सच


कोई भी  जिन्दगी में बहुत व्यस्त नहीं होता , किसी को समय देने या ना देना  प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है

प्यार न तो सुबह शुरू होता है और न ही रात को खत्म होता है ,  जब इसकी जरूरत नही होती तो  खत्म होता है जब  इसकी सबसे अधिक  जरूरत होती है तो शुरू !

हम  दुखी तब नही होते जब हम  किसी के बिन खुद को अधूरा महसूस करते हैं ,हम  दुखी तब होते हैं जब हम  किसी के बगैर खुद को महसूस करना ही नहीं चाहते

जब हम  किसी की परवाह करते हैं तो समय , दूरी कोई मायने नहीं रखते उसको याद  करने  वक्त नहीं लगता
हम SMS करते हैं जिनका हम  जवाब नही देते लेकिन एक अनजान नम्बर से SMS आता है तो हम जरूर पूछते हैं


हमारे  पास अनजाने , नए लोगों के लिए वक्त है मगर खुद के लिए और अपनों के लिए नही .....
ये भी आज का एक सच है

Monday, February 18, 2013

मैं रास्ते में हूं

आज के  दौर में झूठ बोलना और झूठ के जरिए अपना काम निकालना आम हो गया है।  दिन में कई बार जाने-अनजाने झूठ बोलते रहते हैं लेकिन  उससे होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं होता। कई बार एक झूठ  जिंदगी की सबसे बड़ी भूल बन जाता है।  जीवन में जहां तक संभव हो, झूठ का प्रयोग न करें। अगर झूठ बोलना भी पड़े तो भी इससे बचने का प्रयास करें।


एक छोटी सी बात जो आधी सच्ची है आधी झूठी , उसे छुपाने के लिए हम  झूठ पर झूठ  बोलते चले जाते है, यह बिना सोचे की  जब सच्चाई सबके सामने आयेगी तब  क्या होगा?


 झूठ न बोलने की सीख तो बचपन से ही दी जाती है पर फिर भी कई बार कुछ प्रस्थिति  आती है कि मुंह से झूठ निकल जाता है. अकसर अपनी गलतियों को छुपाने के लिए  झूठ का सहारा लेते हैं. पर इसकी ज्यादा जरूरत ऑफिस में पड़ती है. झूठ का ज्यादा इस्तेमाल  घर के बजाए ऑफिस में करते हैं.


 जिंदगी को सहज बनाने के मकसद से  झूठ बोलते हैं.


1- मैं रास्ते में हूं.
2- मैं ट्रैफिक में फंसा हूं.
3- माफ़ करना , मैं तुम्हारी कॉल नहीं उठा पाया.









Wednesday, February 1, 2012

मोहब्बत


मोहब्बत आंसू का समंदर है जो किसी के इन्तेज़ार में खामोशी से बैठा है किसी को खामोशी से चाह जाने का नाम है मोहब्बत करने वाले इस दुनिया के खुशकिस्मत इंसान है और जिस के दिल में मोहब्बत नहीं वो इस दुनिया का बदकिस्मत इंसान है.

Sunday, November 20, 2011

स्वयं


आज मनुष्य अत्यंत व्यस्त हो चूका है उसके पास अपनों के लिए समय ही नहीं रह गया है या ,यों कहिये की वह अपने लिए भी जीवन जीना भूल गया है | एक वक्त हूआ करता था ,जब परिवार के सब लोग एक साथ बैठकर खाना खाया करते त्यौहार,पिकनिक के लिए जाया करते थे लेकिन जब आज इस बारे में सोचते हैं तो ऐसा लगता है की न जाने हम किस जमाने की बात कर रहे हैं | आज मनुष्य ने अपने आपको स्वयं आसह्य बन डाला है
जब मनुष्य अपनी ज़िन्दगी में अकेला हो जाता है ,तब वह किसी अपने को खोजता है ,ताकि उसके प्यार भरा स्पर्श पाकर वह अपने सारे दुखों को भूल सके ,उसके सामने अपनी सारी बातें कह सके जो सालों से उसने अपने मन में दबा रखी थी |

Wednesday, August 31, 2011

ईद


ईद में मुसलमान ३० दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं। उपवास की समाप्ती की खुशी के अलावा, इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रियादा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं, और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। कि ईद उल-फ़ित्र के दौरान ही झगड़ों -- ख़ासकर घरेलू झगड़ों -- को निबटाया जाता है।

ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ित्र कहते हैं।

आज मै पहली बार ईद के दिन मिलाने के लिए दोस्त से गया और मुझे बहुत ख़ुशी हुई ...सुरेन्द्र


Saturday, August 21, 2010

"आशा"

आशा ही जीवन है, सुनने मे बड़ा अच्‍छा लगता है लेकिन अगर देखा जाये तो अपने देश में क्‍या ये संभव है। क्‍योंकि आशा स्‍त्रीलिंग है, जीवन पुलिंग और अपने देश में आशा और जीवन के बीच कितना अन्‍तर है ये बताने की जरूरत नही है। जहाँ आशा को किसी श्राप से कम नही समझा जाता हो वहाँ कैसे कह सकते हैं कि आशा ही जीवन है।

आशा ही जीवन है, इसी सोच के साथ रोज एक नई पार्टी का जन्‍म होता है। नेता दल बदलते रहते हैं कि शायद किसी पार्टी से तो टिकिट मिलेगा, कोई पार्टी तो बहुमत मे आयेगी, कोई तो मंत्री बनायेगा।

आशा तो है जो लाखों लोगों को अपना काम छोड़ के टीवी के आगे बैठने में मजबूर करती है कि कभी तो शायद अपने भी महारथी {क्रिकेट टीम } कुछ कर दिखायेंगे।

शायद इसी आशा के दम पर कुछ लोग विलुप्‍त होती अपनी राष्‍ट्र भाषा को जिंदा रखे हुए है। और ये आशा ही है जो शायद आदमी को नपुंसक बनाती है, क्‍योंकि ‘आशा ही जीवन’ की माला जपते हुए वो हाथ मे हाथ रख कर बैठा रहता है।

और ये आशा ही है जो छोटे-छोटे बच्‍चों को देख कर मुझे भी ये कहने मे मजबूर करते है कि शायद ‘आशा ही जीवन’ है।

आशा ही जीवन है इसका मतलब यही होता है की आज का काम कल पर छोड़ दो और आपनी समस्या दुसरे के भरोसे छोड़ देते है की वही हल करेगा लेकिन क्या यह सही है ?

"आशा ही जिंदगी / जीवन है सिर्फ सुनाने में अच्छा लगता है, बस और कुछ नहीं है "...सुरेन्द्र