Wednesday, October 16, 2013

कुछ सच


कोई भी  जिन्दगी में बहुत व्यस्त नहीं होता , किसी को समय देने या ना देना  प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है

प्यार न तो सुबह शुरू होता है और न ही रात को खत्म होता है ,  जब इसकी जरूरत नही होती तो  खत्म होता है जब  इसकी सबसे अधिक  जरूरत होती है तो शुरू !

हम  दुखी तब नही होते जब हम  किसी के बिन खुद को अधूरा महसूस करते हैं ,हम  दुखी तब होते हैं जब हम  किसी के बगैर खुद को महसूस करना ही नहीं चाहते

जब हम  किसी की परवाह करते हैं तो समय , दूरी कोई मायने नहीं रखते उसको याद  करने  वक्त नहीं लगता
हम SMS करते हैं जिनका हम  जवाब नही देते लेकिन एक अनजान नम्बर से SMS आता है तो हम जरूर पूछते हैं


हमारे  पास अनजाने , नए लोगों के लिए वक्त है मगर खुद के लिए और अपनों के लिए नही .....
ये भी आज का एक सच है

Monday, February 18, 2013

मैं रास्ते में हूं

आज के  दौर में झूठ बोलना और झूठ के जरिए अपना काम निकालना आम हो गया है।  दिन में कई बार जाने-अनजाने झूठ बोलते रहते हैं लेकिन  उससे होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं होता। कई बार एक झूठ  जिंदगी की सबसे बड़ी भूल बन जाता है।  जीवन में जहां तक संभव हो, झूठ का प्रयोग न करें। अगर झूठ बोलना भी पड़े तो भी इससे बचने का प्रयास करें।


एक छोटी सी बात जो आधी सच्ची है आधी झूठी , उसे छुपाने के लिए हम  झूठ पर झूठ  बोलते चले जाते है, यह बिना सोचे की  जब सच्चाई सबके सामने आयेगी तब  क्या होगा?


 झूठ न बोलने की सीख तो बचपन से ही दी जाती है पर फिर भी कई बार कुछ प्रस्थिति  आती है कि मुंह से झूठ निकल जाता है. अकसर अपनी गलतियों को छुपाने के लिए  झूठ का सहारा लेते हैं. पर इसकी ज्यादा जरूरत ऑफिस में पड़ती है. झूठ का ज्यादा इस्तेमाल  घर के बजाए ऑफिस में करते हैं.


 जिंदगी को सहज बनाने के मकसद से  झूठ बोलते हैं.


1- मैं रास्ते में हूं.
2- मैं ट्रैफिक में फंसा हूं.
3- माफ़ करना , मैं तुम्हारी कॉल नहीं उठा पाया.