Monday, February 18, 2013

मैं रास्ते में हूं

आज के  दौर में झूठ बोलना और झूठ के जरिए अपना काम निकालना आम हो गया है।  दिन में कई बार जाने-अनजाने झूठ बोलते रहते हैं लेकिन  उससे होने वाले नुकसान का अंदाजा नहीं होता। कई बार एक झूठ  जिंदगी की सबसे बड़ी भूल बन जाता है।  जीवन में जहां तक संभव हो, झूठ का प्रयोग न करें। अगर झूठ बोलना भी पड़े तो भी इससे बचने का प्रयास करें।


एक छोटी सी बात जो आधी सच्ची है आधी झूठी , उसे छुपाने के लिए हम  झूठ पर झूठ  बोलते चले जाते है, यह बिना सोचे की  जब सच्चाई सबके सामने आयेगी तब  क्या होगा?


 झूठ न बोलने की सीख तो बचपन से ही दी जाती है पर फिर भी कई बार कुछ प्रस्थिति  आती है कि मुंह से झूठ निकल जाता है. अकसर अपनी गलतियों को छुपाने के लिए  झूठ का सहारा लेते हैं. पर इसकी ज्यादा जरूरत ऑफिस में पड़ती है. झूठ का ज्यादा इस्तेमाल  घर के बजाए ऑफिस में करते हैं.


 जिंदगी को सहज बनाने के मकसद से  झूठ बोलते हैं.


1- मैं रास्ते में हूं.
2- मैं ट्रैफिक में फंसा हूं.
3- माफ़ करना , मैं तुम्हारी कॉल नहीं उठा पाया.









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