Sunday, November 20, 2011

स्वयं


आज मनुष्य अत्यंत व्यस्त हो चूका है उसके पास अपनों के लिए समय ही नहीं रह गया है या ,यों कहिये की वह अपने लिए भी जीवन जीना भूल गया है | एक वक्त हूआ करता था ,जब परिवार के सब लोग एक साथ बैठकर खाना खाया करते त्यौहार,पिकनिक के लिए जाया करते थे लेकिन जब आज इस बारे में सोचते हैं तो ऐसा लगता है की न जाने हम किस जमाने की बात कर रहे हैं | आज मनुष्य ने अपने आपको स्वयं आसह्य बन डाला है
जब मनुष्य अपनी ज़िन्दगी में अकेला हो जाता है ,तब वह किसी अपने को खोजता है ,ताकि उसके प्यार भरा स्पर्श पाकर वह अपने सारे दुखों को भूल सके ,उसके सामने अपनी सारी बातें कह सके जो सालों से उसने अपने मन में दबा रखी थी |