Sunday, November 20, 2011

स्वयं


आज मनुष्य अत्यंत व्यस्त हो चूका है उसके पास अपनों के लिए समय ही नहीं रह गया है या ,यों कहिये की वह अपने लिए भी जीवन जीना भूल गया है | एक वक्त हूआ करता था ,जब परिवार के सब लोग एक साथ बैठकर खाना खाया करते त्यौहार,पिकनिक के लिए जाया करते थे लेकिन जब आज इस बारे में सोचते हैं तो ऐसा लगता है की न जाने हम किस जमाने की बात कर रहे हैं | आज मनुष्य ने अपने आपको स्वयं आसह्य बन डाला है
जब मनुष्य अपनी ज़िन्दगी में अकेला हो जाता है ,तब वह किसी अपने को खोजता है ,ताकि उसके प्यार भरा स्पर्श पाकर वह अपने सारे दुखों को भूल सके ,उसके सामने अपनी सारी बातें कह सके जो सालों से उसने अपने मन में दबा रखी थी |

Wednesday, August 31, 2011

ईद


ईद में मुसलमान ३० दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं। उपवास की समाप्ती की खुशी के अलावा, इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रियादा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं, और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। कि ईद उल-फ़ित्र के दौरान ही झगड़ों -- ख़ासकर घरेलू झगड़ों -- को निबटाया जाता है।

ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ित्र कहते हैं।

आज मै पहली बार ईद के दिन मिलाने के लिए दोस्त से गया और मुझे बहुत ख़ुशी हुई ...सुरेन्द्र